प्रवासी मजदूरों के पलायन का सिलसिला जारी है। ट्रेन शुरू होने में वक्त लगा। और कोई इंतजाम था नहीं इसलिए हजारों मजदूर अपना परिवार लेकर पैदल ही घर की ओर चल दिए। रास्ते में कोई ट्रक दिखा तो उससे लिफ्ट देने की गुहार लगाई। कोई माल ढोती छोटी गाड़ी दिख गई तो कुछ दूर उससे सफर किया। कहीं-कहीं मजदूरों ने ट्रकों का इंतजाम कर रखा था। मगर इनमें भूसे की तरह लोग भरे गए। भीतर बिलखते मासूमों की पुकार किसी की भी आंखें नम कर दें। देश के अलग-अलग हिस्सों से जैसी तस्वीरें आ रही हैं, वो इस पलायन को एक त्रासदी में बदल रही हैं। कहीं कोई मासूम मां की गोद से लिपटा है, मां पैदल चली जा रही है। कोई बच्चा इतना थक गया कि मां ने उसे बैग पर लिटा दिया। ना जाने रोड पर शोर के बीच में उस मासूम को नींद कैसे आएगी।
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May 15, 2020 at 04:53PM
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