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'जो गरीबों की पढ़ाई के हक में नहीं, वे दे रहे ताने'

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नई दिल्ली जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में हॉस्टल फीस के मुद्दे पर स्टूडेंट्स और पुलिस की भिड़ंत के बाद सोशल मीडिया पर इसकी काफी चर्चा हो रही है। कई लोगों ने का साथ दिया है, वहीं ऐसे भी लोग हैं जो स्टूडेंट्स की मांग को बिल्कुल जायज नहीं मानते हैं। स्टूडेंट्स पर आरोप लगाया जा रहा है कि टैक्स देने वाली जनता के पैसे से वे आंदोलन कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर यह भी कहा गया कि हॉस्टल के नाम पर जेएनयू के स्टूडेंट्स 'धर्मशाला' के मजे ले रहे हैं। वे पढ़ने के बजाय राजनीति करते हैं। इन आरोपों के जवाब जेएनयू स्टूडेंट्स ने दिए। स्टूडेंट्स का कहना है कि आंदोलन को राजनीति और हमारी शिक्षा सुविधाओं पर 'फ्री-बी' का ताना वे दे रहे हैं, जो गरीब के पढ़ने के हक में नहीं हैं। क्‍या कहना है स्टूडेंट्स का? जेएनयूएसयू के पूर्व प्रेजिडेंट एन साईं बालाजी ने इस मामले पर कहा, 'सोशल मीडिया पर कुछ लोगों का कहना है कि टैक्स के पैसे से हम पढ़ते हैं और फिर प्रदर्शन करते हैं। मैं बता दूं कि सरकार ने पांच वर्षों मे 5.7 लाख करोड़ रुपये कॉर्पोरेट लोन माफ किया है जो जनता का पैसा है। 4 लाख करोड़ से ऊपर टैक्स रिबेट कॉर्पोरेट को दिया है यानी करीब 10 लाख करोड़ रुपये का मुनाफा जनता के टैक्स के पैसे से सरकार ने बड़े उद्योगपतियों को दिया। इसमें से सिर्फ 1% क्या शिक्षा के लिए खर्च नहीं किया जा सकता? जो लोग यह आरोप लगा रहे हैं, क्या उन्होंने सोशल मीडिया पर 10 लाख करोड़ पर सवाल उठाया? ये लोग चाहते हैं अमीर पढ़े और गरीब काम करे। एमए स्टूडेंट सुचेता तालुकदार कहती हैं, 'मैं कोलकता से एमए करने आई हूं। मेरे बाबा पोस्ट ऑफिस में काम करते हैं। अगर हॉस्टल की फीस 7000 रुपये हो गई तो मेरे बाबा मुझे वापस बुला लेंगे। कहां से वह मुझे खर्च देंगे? हॉस्टल में सर्विस चार्ज का क्या मतलब है, क्या यह होटल है? ऊपर से 80% लाइब्रेरी फंड कट हुआ है, अब किताबें खरीदने के लिए भी पैसा चाहिए। टैक्सपेयर्स के पैसे को हमने कभी नहीं नकारा। हम इस पैसे से मेहनत से पढ़ते भी हैं और कुछ अच्छा करते हैं। नोबेल विनर अभिजीत बनर्जी भी जेएनयू से ही हैं। आगे चलकर हम भी अच्छा टैक्स देकर स्टूडेंट्स की मदद के लिए तैयार होंगे।' जेएनयूएसयू की प्रेजिडेंट आईशी घोष ने कहा कि जेएनयू, इंस्टिट्यूशन का नाम नहीं बल्कि एक आइडिया है। आइडिया कि आम जनता की शिक्षा का सिस्टम कैसा होना चाहिए। स्टूडेंट्स की लड़ाई पब्लिक एजुकेशन बचाने की है। जो आलोचना कर रहे हैं, उन्हें हम बताना चाहते हैं कि यह लड़ाई 40% स्टूडेंट्स की लड़ाई है जो शायद अगले साल कैंपस में न रह पाएं। 'फ्री-बी' शब्द चुभता है लेकिन इससे हमें फर्क नहीं पड़ता है। शिक्षा हर नागरिक का अधिकार है। जनता के पैसे से ही यूनिवर्सिटी चल रही है और स्टूडेंट्स भी जनता ही है। स्टूडेंट्स के परिवार भी टैक्स देते हैं ताकि जनता के लिए काम हो और शिक्षा सबसे बड़ा काम है। एमए समाजशास्त्र के स्टूडेंट शिवम मोघा ने कहा, 'मैं एमए समाजशास्त्र का स्टूडेंट हूं। मेरे पिता नहीं हैं, मां खेत से घर का गुजारा करती हैं, दो छोटे भाई-बहन हैं। सस्ती शिक्षा की खातिर बीए करने मैं हैदराबाद यूनिवर्सिटी गया, फिर कड़ी मेहनत कर जेएनयू पहुंचा। मेरी फेलोशिप दो हजार रुपये है। अब अगर फीस तीन गुना बढ़ जाएगी तो क्या करूंगा। मैं ऐसी स्थिति में हूं कि अगर फैसला वापस नहीं लिया गया तो शायद मुझे कैंपस से निकलना पड़े। शायद हम पब्लिक यूनिवर्सिटी से पढ़ने वाली आखिरी पीढ़ी हैं मगर हम यह दरवाजा आने वाली पीढ़ी के लिए भी खोलना चाहते हैं। टैक्स हर कोई किसी न किसी रूप में भरता है। आगे चलकर हम कुछ बढ़िया करेंगे तो मोटा टैक्स देंगे। हॉस्टल फीस को लेकर जारी रहेगी हड़ताल जेएनयू हॉस्टल फीस मुद्दे पर स्टूडेंट्स का आंदोलन जारी रहेगा और आज (13 नवंबर) भी यूनिवर्सिटी में हड़ताल रहेगी। 15 दिन से ज्यादा दिन हो चुके हैं और यूनिवर्सिटी में हड़ताल जारी है। सोमवार को वसंत कुंज में यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के बाहर स्टूडेंट्स के बड़े हुजूम ने देशभर को अपना विरोध दिखाया। स्टूडेंट्स-पुलिस के बीच मुठभेड़ देशभर ने देखी। जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन की अगुवाई में आज भी कैंपस में हड़ताल रहेगी। वहीं, 14 नवंबर को 'राष्ट्रीय प्रदर्शन दिवस' के आगाज के साथ अपने टीचर्स के संग स्टूडेंट्स मंडी हाउस से जंतर मंतर तक मार्च करेंगे। जेएनयू के आंदोलन को डीयू, एफटीआईआई, बनारस यूनिवर्सिटी समेत कई और यूनिवर्सिटीज और अपने कई अल्मनाई से सपॉर्ट मिला है। कुछ यूनिवर्सिटीज ने अपने कैंपस में इनके लिए प्रदर्शन भी किया है। वहीं, जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन का कहना है कि फीस हाइक के खिलाफ उनका आंदोलन जारी रहेगा। स्टूडेंट्स का कहना है कि यूनिवर्सिटी बंद होने की वजह से उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है लेकिन आंदोलन इसलिए जारी रहेगा ताकि 40% उन स्टूडेंट्स की पढ़ाई जारी रह सके जो बढ़ी हुई फीस नहीं दे सकते हैं। 14 नवंबर का मार्च जेएनयू टीचर्स असोसिएशन, दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स असोसिएशन और फेडरेशन ऑफ सेंट्रल यूनिवर्सिटी टीचर्स असोसिएशन्‍स की अगुवाई में होगा। यूनिवर्सिटी में फीस बढ़ोतरी, ग्रांट की जगह सेल्फ फाइनैंस कोर्स, चार साल के अंडरग्रैजुएट प्रोग्राम और आर्थिक रूप से तंग स्टूडेंट्स को शिक्षा से दूर रखने के विरोध में होगा। न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2019 का विरोध इसमें किया जाएगा। दूसरी ओर, जेएनयू प्रशासन की ओर से स्टूडेंट्स के सोमवार के प्रदर्शन की निंदा की गई है। रजिस्ट्रार की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया है कि एचआरडी मिनिस्टर के आश्वासन के बावजूद स्टूडेंट्स ने उन्हें, चांसलर और प्रशासन के अधिकारियों को कई घंटे बंधक बनाया।

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November 12, 2019 at 05:08PM

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