नई दिल्ली भारतीय टीम ने पुणे टेस्ट में साउथ अफ्रीका पर शिकंजा कस लिया है। भारत के 601/5 (घोषित) के जवाब में साउथ अफ्रीका की पहली पारी 275 रन पर सिमट गई। भारत के पास पहली पारी के आधार पर 326 रनों की विशाल बढ़त हो गई है। हालांकि, इस दौरान उसे पुछल्ले बल्लेबाजों से निपटने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। उसकी पुरानी कमजोरी उजागर हुई है। भारतीय बोलर्स का बढ़ा इंतजार पिछले तीन सालों के मुकाबलों पर नजर डाली जाए तो पहली इनिंग्स में 9वें से 11वें क्रम के बल्लेबाजों को आउट करने में भारतीय बोलर्स को इस साल ज्यादा परेशानी हुई है। साल 2015 से 2018 के बीच भारतीय बोलर्स ने 9वें से 11वें क्रम के बल्लेबाजों को आउट करने के लिए 26.5 बॉल प्रति विकेट का समय लिया, जबकि इस साल साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज शुरू होने से पहले भारतीय बोलर्स को प्रति विकेट के लिए 48.3 बॉल तक इंतजार करना पड़ा था। टेस्ट इतिहास का दूसरा बेस्ट इस सीरीज के पहले टेस्ट में पिट और मुथुसामी की जोड़ी ने 194 गेंदों का सामना किया और फिर दूसरे टेस्ट में महाराज व फिलैंडर की जोड़ी ने 259 गेंदों तक भारतीय बोलर्स को विकेट से दूर रखा। इस कारण 48.3 बॉल प्रति विकेट का आंकड़ा बढ़कर 62.4 बॉल प्रति विकेट तक पहुंच गया है। टेस्ट इतिहास पर नजर डाली जाए तो किसी भी एक मैच में 9वें और 10वें विकेट के लिए सबसे अधिक गेंदों का सामना करने के मामले में महाराज और फिलैंडर की जोड़ी दूसरे नंबर पर पहुंच गई। यह साउथ अफ्रीका के लिए रेकॉर्ड भी है। 9वें और 10वें विकेट के लिए सबसे ज्यादा गेंदों का सामना करने वाली जोड़ी
बॉल | रन | विकेट | पार्टनर्स (देश) | वेन्यू | सीजन |
268 | 133 | 9th | स्टीव वॉ/जेसन गेलेस्पी (ऑस्ट्रेलिया) | कोलकाता | 2000-01 |
259 | 109 | 9th | केशव महाराज/वर्नोन फिलैंडर (साउथ अफ्रीका) | पुणे | 2019-20 |
250 | 87 | 9th | मिसबाह/सामी (पाकिस्तान) | दिल्ली | 2007-08 |
235 | 97* | 10th | एंडी फ्लावर/हेनरी ओलोंगा (जिम्बाब्वे) | दिल्ली | 2000-01 |
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October 12, 2019 at 05:34PM
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