ऐसा होना स्वाभाविक था क्योंकि पार्टियों की प्राथमिकताएं बदलने लगी थीं। अब तो हालात बिल्कुल बदल चुके हैं। पार्टियां अब पूरी तरह आश्वस्त हैं। उन्हें जिताऊ उम्मीदवार चाहिए होते हैं। टिकट बंटने के वक्त अब यह सोचा ही नहीं जाता कि बंदा कितने दिन साथ रहेगा? राजनीतिक दलों के लिए पहले नंबर का ‘खेल’ मजबूत करना ज्यादा जरूरी हो गया है।
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October 08, 2020 at 06:49PM
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