के. श्रीनिवास राव, मुंबईभारत के दूसरी बार चैंपियन बनने के 9 साल बाद इस सप्ताह एक बार फिर फाइनल मैच पर बातचीत हो रही है। मुंबई के ऐतिहासिक वानखेड़े स्टेडियम में भारत ने श्रीलंका को हराकर वनडे वर्ल्ड कप जीता था। एक बार फिर से यह बात हो रही है कि महेंद्र सिंह धोनी की नाबाद 91 रन की पारी, खासतौर से विजयी छक्का, पर ज्यादा लिखा गया या फिर गौतम गंभीर की 97 रन की शानदार पारी? धोनी क्यों युवराज से ऊपर आए और यह कैसे हुआ? भारत के लिए क्या काम कर गया? इन सब सवालों पर दिग्गज सचिन तेंडुलकर और ओपनर वीरेंदर सहवाग ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया से एक्सक्लूसिव बातचीत की। सचिन: युवराज अच्छी बल्लेबाजी कर रहे थे और उन्होंने क्वॉर्टरफाइनल में अच्छा खेल दिखाया। इसलिए, वह नंबर 5 पर, कप्तान धोनी नंबर 6 पर और सुरेश रैना नंबर 7 पर उतरे। बल्लेबाजी क्रम कमोबेश तय था। पढ़ें, सहवाग: हमें पता था कि अगर हमें अपने बेसिक्स सही मिले, तो हमेशा नियंत्रण में रहेंगे। सचिन: जहीर ने अच्छी गेंदबाजी की। वीरू ने उपुल थरंगा का शानदार कैच लपका। हमने श्रीलंका को 274 तक समेटने का काम कर दिखाया। महेला जयवर्दने (103) ने बेहतरीन बल्लेबाजी की। सहवाग: मैं शुरुआत में ही आउट हो गया जिससे बेहद निराश था। मुझे याद है जब सचिन (तेंडुलकर) आ रहे थे तो मैंने भयानक चुप्पी साध ली। सचिन: मैं वापस ड्रेसिंग रूम में आया और अपनी सीट पर बैठ गया। क्वॉर्टर फाइनल के दौरान, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ, हमारी (सचिन और वीरू की) साझेदारी के बाद, मैं ड्रेसिंग रूम में लौट आया था और फिजियो की टेबल पर लेट गया था। वीरू मेरे बगल में थे। हम हटे नहीं थे, यहां तक कि फाइनल में भी वीरू वहीं थे और मैंने उनसे कहा कि वह मेरे बगल में बैठे और कहीं ना जाएं। सचिन: गौतम और विराट के बीच साझेदारी बन रही थी और हम विरोधी टीम से कुछ कदम आगे रहना चाहते थे। जब मैंने वीरू से कहा ... 'अगर एक बाएं हाथ का बल्लेबाज (गौतम) अब आउट हो जाता है, तो एक बाएं हाथ (युवी) को अंदर जाना चाहिए, और अगर एक दाएं हाथ वाला (विराट) बाहर निकलता है, तो एक दाहिने हाथ वाला (धोनी) ) को उतरना चाहिए। युवी को नंबर 5 पर बल्लेबाजी करने के लिए तैयार किया गया था लेकिन मैंने वीरू को सुझाव दिया, 'अगर विराट बाहर हो जाते हैं, तो युवी को अंदर नहीं जाना चाहिए। दाएं हाथ, बाएं हाथ के संयोजन को रखना महत्वपूर्ण है।' युवी जबरदस्त फॉर्म में थे लेकिन श्रीलंका के पास दो ऑफ स्पिनर थे, इसलिए मुझे लगा कि रणनीति में बदलाव होगा। सहवाग: बात अनकी बिलकुल सही थी। इसने श्रीलंकाई टीम को परेशानी में डाल दिया था। सचिन: श्रीलंकाई टीम के पास दो ऑफ स्पिनर थे। गौतम अच्छी तरह बल्लेबाजी कर रहे थे और धोनी जैसे बल्लेबाज की जरूरत थी जो स्ट्राइक रोटेट करते रहे। तो, मैंने वीरू से कहा, 'तुम ओवर के बीच में बाहर जाकर एमएस को यही बात बोलो और अगला ओवर शुरू होने से पहले वपिस आ जाना। सहवाग: इससे पहले कि वह अपनी बात पूरी करते, हमने देखा कि एमएस अंदर चले आ रहे हैं। इसलिए, जब उन्होंने (सचिन) एमएस के सामने वही बात दोहराई, जो मेरे सामने कही थी। पढ़ें, सचिन: मैंने एमएस को इस रणनीति पर विचार करने के लिए कहा। वह फिर गैरी (कर्स्टन) के पास गए, जो बाहर बैठे थे। फिर गैरी अंदर आए और हम चारों ने इस बारे में बात की। गैरी भी सहमत हुए और एमएस ने खुद को उतरने के लिए तैयार किया। सचिन उस शाम को सबसे ज्यादा याद करते हैं। उन्होंने कहा, 'गौतम गंभीर की कीमती 97 रन की पारी ने लक्ष्य का पीछा करने में नींव रखी और फिर धोनी ने नाबाद 91 रन की पारी खेलकर लक्ष्य को हासिल करने में भूमिका निभाई। इसके बाद विजयी छक्के ने तो यादगार बना दिया।' वीरू आगे कहते हैं, 'जब तक सिक्स लगा, कमोबेश, फाइनल में किस्मत का फैसला हो चुका था।'
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April 04, 2020 at 06:03PM
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