हम भी देखेंगे, फैज अहमद फैज की यह नज्म हाल ही में विवाद में रही है। सीएए और एनआरसी को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान आईआईटी कानपुर के प्रदर्शनकारी छात्रों ने इस नज्म को गाया था जिस पर कुछ लोगों ने आपत्ति जताई थी कि यह नज्म हिंदू विरोधी है। खैर उनकी इसी नज्म को इकबाल बानो ने उस समय पाकिस्तान में गाया था, जब वहां के सैन्य शासक और तानाशाह जियाउल हक ने फैज की नज्मों और काले कपड़े पहनने पर रोक लगा रखी थी। इकबाल बानो के कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जनसैलाब उमड़ा था। आज फैज अहमद फैज का जन्मदिन है। 13 फरवरी, 1911 को उनका जन्म हुआ था। फैज अहमद फैज इंकलाब और रूमानियत दोनों के शायर थे। अगर उनकी नज्मों में क्रांति का आह्वान है तो इश्क का समंदर भी है। और जब वैलंटाइन वीक चल रहा है तो उसमें उनकी रूमानी शायरी पढ़ना और बेहतर रहेगा। उनके शेर को आप अपने वैलंटाइन को डेडिकेट कर सकते हैं।
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February 12, 2020 at 05:16PM
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