मुंबईबीसीसीआई अध्यक्ष ने रविवार को कहा कि पूर्णकालिक क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) की जरूरत नहीं है क्योंकि इसे सीमित भूमिका ही निभानी होती है। उन्होंने कहा कि सीएसी की केवल एक या दो बैठक की आवश्यकता होती है। बीसीसीआई ने रविवार को सीएसी की नियुक्ति टाल दी और गांगुली ने कहा कि विवादास्पद हितों के टकराव का मुद्दा इसमें आड़े आ रहा है जिसे सीओए को भी लागू करना मुश्किल लगा था। दिग्गज सचिन तेंडुलकर, वीवीएस लक्ष्मण और गांगुली को खुद सीएसी से इस्तीफा देना पड़ा था क्योंकि उन पर हितों के टकराव के आरोप लगे थे। गांगुली ने बोर्ड की एजीएम के बाद मीडिया से कहा, ‘सीएसी का ज्यादा काम नहीं है। हम सीएसी के बारे में बात करते रहते हैं, लेकिन इस समिति का काम चयनकर्ताओं और कोच की नियुक्ति करना है। इसलिए एक बार आप चयनसमिति नियुक्त कर लेते हो तो यह चार साल के लिए बरकरार रहती है और जब आप कोच नियुक्त करते हो तो वह तीन साल के लिए रहता है। इसलिए पूर्णकालिक सीएसी रखने की क्या जरूरत?’ पढ़ें, उन्होंने कहा, ‘अभी तक यह सीएसी मानद पद है इसलिए अगर आप भुगतान भी करते हो तो आप किस आधार पर भुगतान करोगे। इसमें नियमित काम नहीं है। इसलिए सीएसी में हितों का टकराव है तो मुझे नहीं लगता कि यह बेहतर होगा या नहीं। इसमें केवल एक ही बैठक होती है।’ बीसीसीआई प्रमुख ने कहा कि वे हितों के टकराव के मुद्दे पर स्पष्टीकरण के लिए सुप्रीम कोर्ट का रूख करेंगे। उन्होंने कहा, ‘हितों का टकराव सभी को रोक रहा है, इसलिए हम सीएसी नहीं बना सकते और उचित चयनकर्ता नहीं ला सकते।’ गांगुली ने कहा, 'हम चयनकर्ताओं का कार्यकाल तय करेंगे। हर साल चयनकर्ताओं की नियुक्ति करना सही नहीं है।' भारतीय टीम ने पांच सदस्यीय पैनल के कार्यकाल के दौरान अच्छी सफलताएं हासिल कीं लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम अनुभव के कारण उन्हें लगातार आलोचनाओं का सामना करना पड़ता था।
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December 01, 2019 at 05:36PM
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