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ऐक्शन, यॉर्कर, बाउंसर- कहानी बूम-बूम बुमराह की

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नई दिल्ली क्रिकेट मैच में इनिंग्स के आखिरी ओवरों का उन्हें बादशाह माना जाता है। अपनी गेंदबाजी में हालात के मुताबिक बदलाव करने की कुव्वत उनमें है। कई निर्णायक मैचों में अपनी टीम को उन्होंने जीत का सेहरा पहनाया है। हम बात कर रहे हैं फास्ट बोलिंग के नए बादशाह जसप्रीत बुमराह की। बुमराह की गेंदबाजी की खासियतों और उनकी उपलब्धियों से रूबरू करा रहे हैं नीरज झा हर फॉर्मेट का अलग फॉर्म्युला जसप्रीत बुमराह ने भारतीय गेंदबाजी को क्रिकेट की दुनिया में एक नई पहचान दी है। सबसे खास बात यह कि वह हालात देखकर गेंदबाजी करते हैं और शायद यही वजह है कि वह इनिंग्स के आखिरी ओवरों के किंग माने जाते हैं। उनके पास हर फॉर्मैट में बोलिंग करने के अलग-अलग फॉर्म्युले हैं। वह मौजूदा समय में जहां 140-145 किमी प्रति घंटे की तेज रफ्तार से गेंद डाल सकते हैं, वहीं अगली गेंद 120 की स्पीड से डालकर विकेट झटक चौंका भी सकते हैं। यही उन्हें आज की तारीख में सबसे खतरनाक गेंदबाज बनाता है। अपनी इसी हथियार और वैरिएशन की वजह से बल्लेबाजों के बीच उनके नाम का खौफ है। इसे भी पढ़ें- पाक के पास थी भरमार, हमारे पास सिर्फ कपिल भारतीय तेज गेंदबाजी की जब भी बात होती है, सबसे पहले जिस शख्स का नाम क्रिकेट के दीवानों की जुबान पर आता है, वह हैं कपिल देव। कपिल से पहले भारतीय क्रिकेट में गेंदबाजी की पहचान स्पिनर्स से होती थी और इस मुल्क ने दुनिया को एक-से-एक बेहतरीन फिरकी गेंदबाज दिए। दूसरी तरफ, पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान अपनी तेज गेंदबाजी के लिए मशहूर था, चाहे वह सरफराज नवाज हों या फिर इमरान खान। उसके बाद वसीम अकरम, वकार यूनिस और शोएब अख्तर का दौर रहा। उस जमाने में हर भारतीय यही सोचता था कि काश! हमारे देश में भी ऐसे गेंदबाज होते। कपिल के बाद जवागल श्रीनाथ, ज़हीर खान सरीखे कुछ अच्छे तेज गेंदबाज आए भी, लेकिन उनके नाम का खौफ विदेशी बल्लेबाजों को नहीं रहा। बुमराह ने पैदा किया खौफ कपिल 1994 में रिटायर हो गए और करीब 20-22 साल बाद भारतीय टीम में एक ऐसे गेंदबाज ने कदम रखा, जिसकी चर्चा हर तरफ हो रही है। जसप्रीत बुमराह भारतीय क्रिकेट का ऐसा सितारा हैं जिन्होंने हर उस देशवासी के सपने को पूरा किया है जो भारत में वसीम, वकार और ब्रेट ली जैसे गेंदबाज चाहते थे। खुद ब्रेट ली भी मानते हैं कि इस गेंदबाज में बहुत दम है, चाहे बात रफ्तार की हो या फिर बाउंसर और यॉर्कर फेंकने की, वह दिमाग लगाकर गेंदबाजी करते हैं। ब्रेट ली भी मुरीदऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर और अपने समय के बेहतरीन तेज गेंदबाज ब्रेट ली कहते हैं, 'बुमराह वाकई मौजूदा समय के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाज हैं। अपने प्रदर्शन की बदौलत आईसीसी वनडे रैंकिंग के शीर्ष पर पहुंच गए हैं, जबकि टेस्ट रैंकिंग में वह तीसरे स्थान पर काबिज हैं। भारत का यह नया सितारा तेज गेंदबाज़ी के हर आयाम में माहिर है।' इसे भी पढ़ें-
मैच विकेट बेस्ट
टेस्ट 12 62 6/27
वनडे 58 103 5/27
टीवी से सीखी गेंदबाजी 6 दिसंबर 1993 को अहमदाबाद के एक बिजनस परिवार में जन्मे बुमराह ने जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे। जब वह 7 साल के थे तो उनके पिता का निधन हो गया। मां दलजीत बुमराह प्राइमरी स्कूल में प्रिंसिपल थीं। उन्होंने अकेले अपने दम पर अपने बच्चों की परवरिश की। बुमराह ने बचपन में टीवी पर तेज गेंदबाजों की नकल करने में महारत हासिल कर ली थी। मां की डांट से निकला यॉर्कर का रास्ताघर में दीवारों पर वह तेज गेंदबाज़ी की प्रैक्टिस करते रहते थे। एक दिन मां ने परेशान होकर शर्त रख दी कि घर में खेलना है तो बिना शोर-शराबे के खेलना होगा! बुमराह ने इसका तोड़ निकाल लिया और उस हिस्से पर निशाना लगाकर बोलिंग करने लगे जहां दीवार का निचला हिस्सा फर्श से मिलता है। वहां गेंदबाजी से आवाज कम आती थी। एक ओर जहां उन्हें मां से डांट पड़नी बंद हो गई, वहीं वह यॉर्कर के गुर भी सीख गए। बुमराह को बचपन से ही तेज गेंदबाजी बहुत पसंद थी। टीवी पर क्रिकेट मैच आता था तो वह बोलर्स को देखना ही पसंद करते थे। इसे भी पढ़ें- अलग ऐक्शन ने बनाया उन्हें खासबुमराह कहते हैं, 'बड़े-बड़े स्कोर और चौके-छक्के कभी मुझे आकर्षित नहीं कर सके। बचपन से मैं अलग-अलग गेंदबाज़ों को देखकर सीखता रहा, लेकिन यह खास ऐक्शन कैसे विकसित हुआ, यह मुझे भी नहीं मालूम।' यह उनका खास ऐक्शन ही था, जिसकी वजह से उनकी अलग पहचान बन गई। जीसीए का कैंप और फिर मुश्ताक अली ट्रोफीऐक्शन का सबसे बड़ा फायदा उन्हें तब मिला, जब उनको गुजरात क्रिकेट असोसिएशन के कैंप में शामिल होने का मौका मिल गया। वहां से उनका एमआरएफ फाउंडेशन का सफर भी शुरू हुआ। फिर उन्हें गुजरात अंडर-19 टीम में जगह मिल गई। अपने प्रदर्शन से उन्होंने टीम मैनेजमेंट को ऐसा प्रभावित किया कि उन्हें सैयद मुश्ताक अली टी-20 मैच के लिए भी चुन लिया गया। इसके बाद तो उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अक्टूबर 2013 में उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में कदम रखा और अपनी गेंदबाजी की बदौलत गुजरात को सैयद मुश्ताक अली टी-20 ट्रोफी दिलाई। इसे भी पढ़ें- जॉन राइट का टैलंट हंटपिछले कुछ बरसों में बुमराह ने तेजी से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी जगह बनाई है और दुनिया भर के नामी बल्लेबाजों को आउट किया है। उन्हें आईपीएल से चमकने का मौका मिला। लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि उन्हें आईपीएल में मौका कैसे मिला? मुंबई इंडियंस से दुनिया की नजरों में आने वाले बुमराह को टीम इंडिया के पूर्व कोच न्यू जीलैंड के जॉन राइट ने खोजा था। राइट मुंबई इंडियंस के लिए टैलंट हंट में लगे थे और 2013 के सैयद मुश्ताक अली टी-20 के एक मैच के दौरान उन्होंने बुमराह को खेलते देखा। उनके यूनिक बॉलिंग ऐक्शन से प्रभावित होकर उन्होंने मुंबई इंडियंस के लिए 19 साल के बुमराह को चुन लिया। यही उनके करियर का टर्निंग पॉइंट था। विराट का भरोसाविराट के तरकश का सबसे बड़ा और सटीक तीर आज की तारीख में जसप्रीत बुमराह ही हैं। जसप्रीत खुद मानते हैं कि कप्तान विराट कोहली को उन पर काफी भरोसा है और इससे उनको बहुत आत्मविश्वास मिलता है। वह कहते हैं, 'जब आप गेंदबाजी करते हैं तो आप खुद को व्यक्त कर सकते हैं और जो भी आप करना चाहते हैं, उसे करने की कोशिश करते हैं। सिर्फ मुझे ही नहीं, टीम के हर गेंदबाज को विराट सपॉर्ट करते हैं।' इसे भी पढ़ें- पहले ही मैच में छाए मुंबई इंडियंस में अच्छी गेंदबाजी की बदौलत जल्द ही उन्हें भारतीय टीम में भी खेलने का मौका मिल गया। उन्होंने 23 जनवरी 2016 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वन-डे और तीन दिन बाद 26 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 में शुरुआत की। अपने पहले अंतरराष्ट्रीय मैच में ही 3 विकेट लेकर बुमराह ऐसा करने वाले महज दूसरे खिलाड़ी बन गए। इस दौरे के बाद कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने कहा था, 'बुमराह इस दौरे की खोज हैं और मुझे भरोसा है कि वह टीम इंडिया के लिए भविष्य में अहम खिलाड़ी बनकर उभरेंगे।' चोट से लगा था झटका हालांकि 21 साल की उम्र में उन्हें घुटने में चोट की वजह से ऑपरेशन भी करवाना पड़ा। इससे एकबारगी तो उनका क्रिकेट करियर ही खतरे में पड़ गया था, लेकिन इस सबसे उबरकर वह टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की करने में कामयाब रहे। वर्ल्ड कप में जलवा, वेस्ट इंडीज में धमाल2019 वर्ल्ड कप में उनका जलवा उफान पर था। उन्होंने अपनी धारदार बोलिंग से कुल 18 विकेट लिए और उसके बाद वेस्ट इंडीज में तो उन्होंने झंडा ही गाड़ दिया। टेस्ट में हैटट्रिक लेकर वह हरभजन सिंह और इरफान पठान के बाद तीसरे भारतीय गेंदबाज बन गए। गलती से सीखाबुमराह के लिए 2017 का आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट एक बुरे सपने की तरह रहा। फाइनल में भारत की ढीली गेंदबाजी की वजह से पाकिस्तान ने 338 रन बना लिए और खिताब भी जीत लिया। उस फाइनल में हर किसी को भले ही कुछ याद हो ना हो, लेकिन बुमराह की 3 नो-बॉल सबको याद हैं। इनमें से एक बॉल पर उन्होंने शतकीय पारी खेलने वाले फखर जमां का विकेट भी 'नो बॉल' की वजह से गवां दिया था। लेकिन हर इंसान अपनी गलतियों से ही सीखता है और जो जितना जल्दी सीखता है, वह उतनी जल्दी तरक्की भी करता है। बुमराह ने अपनी गलतियों से सीखा और उसके बाद से अब तक लिमिटेड ओवर क्रिकेट में उन्होंने 10 से भी कम नो-बॉल किए हैं। 'सबसे तेज फिफ्टी' बुमराह को टेस्ट खेलने का मौका टी-20 और वन-डे डेब्यू के दो साल बाद मिला। विराट कोहली की कप्तानी में उन्होंने 5 जनवरी 2018 को साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहला टेस्ट मैच खेला। उसी कैलेंडर ईयर में ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 5-5 विकेट लेने वाले एशिया के वह पहले गेंदबाज बने। उन्होंने सिर्फ 9 टेस्ट मैचों में 50 विकेट पूरे किए। वह भारत की ओर से सबसे तेज विकेटों की हाफ सेंचुरी लगाने वाले तेज गेंदबाज बन गए। लिली को दिखते हैं थॉमसन वह इस साल कुल 45 विकेट लेकर अपने टेस्ट डेब्यू ईयर में सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट लेनेवाले भारतीय गेंदबाज बन गए। इतने कम समय में इतनी कामयाबी शायद ही किसी और भारतीय गेंदबाज को नसीब हुई होगी। उनसे पहले डेब्यू ईयर में भारत के दिलीप दोषी ने सबसे ज्यादा 40 विकेट चटकाए थे। बहरहाल, भारत को ऑस्ट्रेलिया में मिली पहली सीरीज जीत के असली हीरो थे बुमराह। उन्होंने मेलबर्न टेस्ट में 9 विकेट लिए और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जीत के हीरो बने। सीरीज के दौरान ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज डेनिस लिली ने कहा था कि बुमराह के ऐक्शन में उन्हें लेजंड जेफ थॉमसन की छवि दिखती है। तरकश में नए तीर दिग्गजों को ही नहीं, बुमराह को भी अपने हुनर पर पूरा भरोसा है। हर मैच के साथ वह बेहतर खिलाड़ी बन रहे हैं। उन्होंने समय के साथ न सिर्फ अपनी फिटनेस को बेहतर किया है बल्कि गेंदबाजी में इन-स्विंगर, बाउंसर और स्लो बाउंसर जैसे अपने हथियारों को वह और बेहतर करने में जुटे हैं क्योंकि मंजिलें अभी और भी हैं!

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September 07, 2019 at 05:41PM

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