सर्वेक्षण में शामिल हर दो पुलिस कर्मियों में से एक को लगता है कि मुसलमानों में अपराध करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। एक-तिहाई का मानना है कि अनुसूचित जाति (35 फीसदी), ओबीसी (33 फीसदी), उच्च-जाति (33 फीसदी) और आदिवासी (31 फीसदी) लोग अपराध करने के लिए प्रवृत्त होते हैं।
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August 28, 2019 at 05:11PM
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