के. श्रीनिवास राव, मुंबईआईसीसी वर्ल्ड कप का खिताबी मुकाबला इंग्लैंड और न्यू जीलैंड के बीच टाइ रहा। फिर सुपर ओवर भी टाइ रहा। आखिरकार बाउंड्री काउंट से इंग्लैंड को विजेता घोषित किया गया। लेकिन, आईसीसी के इस नियम पर बवाल मचा हुआ है। कई दिग्गज खिलाड़ी जहां इसे हास्यास्पद बता रहे हैं तो कुछ खिलाड़ियों ने इंटरनैशनल क्रिकेट काउंसिल से इसे बदलने पर विचार करने को कहा है। देखा जाए तो यह तर्क से परे भी है, क्योंकि टाइ मैच में बाउंड्री काउंट के आधार पर किसी को विजेता घोषित किया जाना कितना सही है, जबकि दोनों टीमों ने समान रन बनाए हैं। अंपायर ने दी थी सुपर ओवर से पहले ही जानकारीहालांकि, इस मामले में फील्ड अंपायर श्रीलंका के धर्मसेना और मारो इरासमुस ने मैच टाइ होने के बाद सुपर ओवर के शुरू होने से पहले ही दोनों कप्तानों को नियम बता दिए थे। अंपायरों का कहना था कि अगर सुपर ओवर भी टाइ रहा तो मैच का रिजल्ट बाउंड्री काउंट से होगा। जिस टीम ने बाउंड्री अधिक लगाई होगी वह चैंपियन बन जाएगा। उस समय कोई भ्रम नहीं था। दरअसल, भ्रम तो कहीं और ही है। एक फॉर्मेट जो अब 48 वर्ष का है। 12 विश्व कप खेले जा चुके हैं। कुल 40 टाइ मैच हुए हैं। मैच रिजल्ट आ सके इसके लिए समय-समय पर बदलाव भी किए गए, लेकिन अब भी भ्रम है। चौंकाने वाला आंकड़ा तो यह है कि अब तक खेले गए 40 टाइ में से सिर्फ 4 मैचों में रिजल्ट आए हैं। आईसीसी यानी 10% मैचों में ही विजेता घोषित कर सका, जो वाकई हास्यास्पद है। पढ़ें: इन पर अपनाया गया था ये नियमअगर बात करें 4 में से 3 टाइ मैचों के रिजल्ट की तो वर्ल्ड कप-1999 का सेमीफाइनल मैच ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के बीच हुआ था। यह टाइ रहने के बाद मैच का फैसला हेड टु हेड से लिया गया था। हैरानी की बात यह है कि इसके बाद मार्च, 1987 में हैदराबाद में खेले गए भारत बनाम पाकिस्तान और अक्टूबर 1988 में लाहौर में खेले गए ऑस्ट्रेलिया बनाम पाकिस्तान मैच टाइ हुआ और इनका फैसला बैटिंग के दौरान सबसे कम विकेट गंवाने वाली टीम को विजेता घोषित कर किया गया था। यह देखकर हैरानी होती है कि की सभी हाई-प्रोफाइल तकनीकी समितियां, क्रिकेट पर काम करने वाले समूह समय-समय पर नियमों में बदलाव करते रहे हैं। इसके बावजूद इन वर्षों में 50 ओवर के खेल के लिए एक सरल निर्णायक नियम तैयार नहीं किया जा सका है। वर्ल्ड चैंपियन घोषित हो चुका है, लेकिन 102 ओवर तक खिंचे मैच के रिजल्ट से सभी खुश नहीं हैं। यहां तक कुछ अंपायरों ने बाउंड्री काउंट से हुए फैसले को खारिज किया है। आइए अन्य रोचक नॉकआउट्स टाइ के बारे में... ऑस्ट्रेलिया बनाम साउथ अफ्रीका, 1999: वर्ल्ड कप का यह मैच बर्मिंगम में खेला गया था। दोनों ही टीमों ने 213-213 रन बनाए थे और मैच टाइ हुआ था। यहां ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम सुपर सिक्स में बेहतर रन औसत रहने की वजह से मैच जीत गई थी और फाइनल में अपना स्थान पक्का कर चुकी थी। 2007 में T20 बॉल आउट: भारत ने 2007 में T20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान से मैच टाई होने के बाद बॉलआउट मुकाबला जीतकर पूरे 2 अंक हासिल किए थे। दोनों टीमों ने तब 141-141 रन बनाए थे। टाइ होने के बाद हुए बॉलआउट में भारत की ओर से वीरेंदर सहवाग, हरभजन सिंह और रॉबिन उथप्पा ने गिल्लियां बिखेरीं थीं, जबकि पाकिस्तान के तीनों गेंदबाज उमर गुल, यासिर अराफात और शाहिद अफरीदी ऐसा करने में सफल नहीं हो सके। हालांकि, इस नियम पर 2008 से सुपर ओवर को वरीयता दी गई। रेन का पेन, लक्ष्य हो गया नामुमकिन: 1999 में साउथ अफ्रीका और इंग्लैंड के बीच सिडनी में हुए एक मैच में जब बारिश आई तो साउथ अफ्रीका को जीत के लिए 13 गेदों में 22 रनों की जरूरत थी, लेकिन जब मैच शुरू हुआ तो डकवर्थ लुइस के अनुसार उसे नया लक्ष्य 1 गेंद में 22 रन का मिला, जो नामुमकिन था।
https://ift.tt/2LoyEDM
from Sports News in Hindi: Latest Hindi News on Cricket, Football, Tennis, Hockey & more | Navbharat Times https://ift.tt/2Lo8lxz
July 15, 2019 at 05:45PM
No comments:
Post a Comment